Description
बैधनाथ याकूति रस
आयुर्वेदिक औषधि (सि.यो.सं.-हद्रोगाधिकार)
पत्येक टेवलेट (125 mg.) में निम्न घटक द्रव्य है:
माणिक्य पिष्टी, पन्ना पिष्टी, मुक्ता पिष्टी, प्रवाल पिष्टी, कहरवा पिष्टी, चन्दोदय, सोने के वरक/ स्वर्ण भस्म, अम्बर, लता कस्तूरी, अवरेशम एवं केशर प्रत्येक 8.33 मि.ग्रा.,बहमन सफेद, बहमन लाल, जायफल, लवंग तथा सफेद मरिच प्रत्येक 4.17 मि.ग्रा.।
गुण-धर्म: हृदय की दुर्बलता, थोड़ा सा चलने पर दम भर जाना, सन्निपात आदि में नाड़ी की क्षीणता, शरीर का ठण्ड़ा पड़ना, पसीना अधिक आना, हृदय की धड़कन बढ़ना (हार्ट ब्लडप्रशर) दिल की कमजोरी मस्तिष्क विकार, अनिद्रा, भ्रम, उन्माद आदि में इसका प्रयोग अच्छा गुणकारी है। यह हृदय को बलवान बनाकर हाट फेल से बचात् है। यह अच्छा ुपौष्टिक रसायन है। बल, वीर्य एवं ताकत बढाने में भी इसका प्रयोग गुणदायक है।
Weakness of heart, slight aggravation of running, pulse impairment, numbness of body, excessive sweating, increased heartbeat (heart blood pressure) heart weakness brain disorder, insomnia, confusion, mania etc. Use is good. It protects the heart from hot failure. It is a good nutritional chemical. Its use is also beneficial in increasing strength, semen and strength.
मात्रा,समय और अनुपान: 1:1 टेबलेट दिन में 2-3 बार पुदीना के स्वरस के साथ अथवा मधु से चाट कर गौ या बकरी का दूध पीना उत्तम है। हृदय रोग में अर्जुन चूर्ण 1 ग्राम या डिजिटेलिसपत्र चूर्ण 60 मि.ग्रा.से 125 मि.ग्रा.श्रृंग भस्म 125 मि.ग्रा. मिलाकर मधु के साथ देना ज्यादा लाभदायक है।
पथ्य : पुराना चावल, गेहू, मूँग, कुल्थी, दूध, मट्टा, धनियाँ की चटनी, पेठा, मीठे आम, अनार, परवल, टमाटर, केला, अँगूर, सेब, आँवला, मुरब्बा आदि हल्का बलकारी परार्थ, स्वच्छ वायु में भ्रमण, बह्मचर्य पालन, मन को प्रसन्न रखना आदि हितकर है।
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