Description
बैधनाथ शिर:शूलादिवज्र रस
आयुर्वेदिक औषधि (भै.र.)
पत्येक टेबलेट (125 मि.ग्रा.) में निम्न घटक द्रव्य है:
शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, लौह भस्म, एवं ताम्र भस्म प्रत्येक 7.0 मि.ग्रा., शुद्ध गुग्गुल 28.1 मि.ग्रा., त्रिफला चूर्ण 14.0 मि.ग्रा., कुष्ट चूर्ण, मुलेठी चूर्ण, पिप्पली, शुण्ठी, गोक्षुर एवं विडंग प्रत्येक 1.75 मि.ली. दशमूल चूर्ण 17.5 मि.ग्रा., शेष – भावना एवं सहायक द्रव्य है।
गुण धर्म : यह रस शिरोरोग की उत्तम गुणकारी दवा है । इसके सेवन से किसी प्रकार का भी सिर दर्द कम होता है । अर्धावेदक (अर्धकपारी) वगैरह में भी यह चूर्ण लाभकारी है।
मात्रा और अनुमान :
इस रस की 2 से 4 सबेरे – शाम या दिन में 3 से 4 बार मधु, बकरी या गाय के दूध के साथ या 1 ग्राम गोदन्ती भस्म और 1 ग्राम मिश्री मिलाकर 3 से 6 ग्राम गाय के घी में मिलाकर देने से यह अच्छा लाभ करता है ।
पथ्य :
पेट साफ रखना, लंघन, पुराने घृत की मालिश ,शिरोवास्ति, पुराने चावल, गेहूँ, दूध, परवल, सहिजन, बथुआ, किशमिश, करेला, आम, आँवला, अनार, नींबू, तेल, मट्ठा, काँजी, नारियल, सुगंधित द्रव्य, इत्र, कपूर, केशर आदि पथ्य है।
अपथ्य :
छींक, जम्हाई, नींद, आंसू, मल – मूत्र के वेग को रोकना, दूषित जलपान, अशुध्द भोजन, दिन में शयन आदि अपथ्य है।
नोट:
औषधि सेवन के साथ – साथ शिर में दशमूल तेल की मालिश करना और नाक से षडबिन्दू तेल सूँघना विशेष गुणकारी है । सर्दी, जुकाम, थकावट आदि किसी कारणवश शिर-दर्द हो जाने पर तत्कालिक लाभ के लिए 1 – 2 खुराक बैधनाथ दर्दनाशक को लेने और माथे में पेन बाम लगाने से तुरन्त आराम हो जाता है।
सावधानी : वैधकीय निरीक्षण के अंतर्गत लिया जाय।
Reviews
There are no reviews yet.