Description
Jay Mangal Ras (Swarna Yukt)/ बैधनाथ जयमंगल रस (स्वर्ण युक्त )
आयुर्वेदिक औषधि (भै.र. – ज्वराधिकार)
प्रत्येक टेबलेट (125 mg.) में निम्न घटक द्रव्य है:
स्वर्ण भस्म 18.94 मि.ग्रा., स्वर्ण माश्रिक भस्म, चाँदी भस्म, कान्त लौह भस्म, शुध्द पारद, शुध्द गंधक, शुध्द टंकण, ताम्र भस्म, बंग भस्म, सेंधा नमक तथा मरिच पावडर प्रत्येक 9.45 मि.ग्रा., शेष-सहायक एवम् भावना द्रव्य हैं।
गुण-धर्म: यह सभी प्रकार के बुखार,धातुगत ज्वर, विषमज्वर आदि की सुप्रसिध्द औषधि है। यह त्रिदोषध्न रसायन ज्वर तथा सेन्द्रिय विष-विकार को निकाल कर शरीर एवं दिल-दिमाग को पूर्ण स्वस्थ बना देता है। यह अस्थि मेदा, मांसाश्रित एवं मज्जा तथा शुक्रगत सभी ज्वरों को नष्ट करता है। जीर्णज्वर, विष्म-ज्वर एवं बीच-बीच में 1-2 महा रूककर आने-वाले ज्वर कुनाइन से अटका हुआ आदि में इस रस का अद्भुत फल दिखाई पड़ता है। पुराने साँसी – बुखार ,ज्वर का वेग अधिक होने पर व्याकुलता, निर्बलता आदि में इसके प्रयोग से ज्वर मर्याित हो जाता है। इससे हृदय, मन, वात-वाहिनी नाड़ियों के केन्द्र स्थान आदि का संरक्षण होता है, जिससे रोग-निवारण में पूरी सहायता मिलती है। अनुपान भेद से यह अनेक रोगों को दूरकर बल-विक्रम को बढ़ाकर शरीर को पुष्ट भी करता है। शरीर में नये जीवाणुओं की रचनाकर रोग से बचाता है। किसी कारण से आई हुई निर्बलता में इसका प्रयोग टॉनिक का काम करता है। वास्तव में रसायन पर जैसे
वैद्य-समाज का विश्वास है, उसी तरह यह लाभ भी करता है।
मात्रा और अनुपान : पूरी मात्रा 1-1 टेबलेट । बालकों 1\4 टेबलेट से 1\2 टेबलेट (30 मि०ग्रा० से 60 मि०ग्रा०) तक दिन में दो बार जीरा चूर्ण या गुडूची सत्व और मधु के साथ। रोगानुसार विभिन्न अनुपानों द्वारा इसका प्रयोग होता है ।
पथ्य : रोगानुसार गरम जल, दूध, बार्ली, साबूदाना,विदाना, सन्तरा आदि का रस तथा हल्का बलकारी सुपाच्य भोजन चिकित्सक के परामर्शानुसार।
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