Description
Gandhak Rasayan / गंधक रसायन
गुण धर्म : इसके सेवन से सब प्रकार के रक्त विकार एवं नाड़ी ब्रण (नासूर),भगन्दर ,खुजली आदि चर्मरोगों में शीघ्र लाभ होता है। तथा जठराग्नि प्रदीप्त होती है।
मात्रा और अनुपान :
पूरी उम्रवालों को 500 मि.ग्रा.से 1 ग्राम से 1 ग्राम तक बच्चों को अवस्थानुसार 125 मि.ग्रा. से 250 मि.ग्रा.तक जल,दूध, मंजिष्ठादि क्वाथ, महात्रिक्त, खदिरारिष्ट के साथ रोगानुसार देना चाहिए। पेट साफ करने के बाद इस दवा का उपयोग करना ज्यादा लाभदायक है।
पथ्य : पेट साफ रखना, बिना नमक की रोटी और घी बकरी का दूध लेना सर्वोत्तम है। थोड़ी चीनी मिला हलुआ, गेहूं की दलिया, पुराने चावल का भाव, परवल, तरोई, नीमपत्ती आदि पर्दाथ लेना, ब्रह्मचर्य से रहना चाहिए।
अपथ्य : विशेष नमक से परहेज रखना चाहिए। दाल, शाक, अम्ल पदार्थ आदि इसके सेवन काल में वर्जित है।
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